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मोर्चा व प्रकोष्ठ का गठन न होने से यूपी भाजपा में असंतोष |

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प्रदेश में विधानसभा चुनाव के पहले से ही भाजपा के फ्रंटल संगठनों के गठन की प्रक्रिया लंबित है। भाजपा के सात मोर्चों के अध्यक्ष जरूर घोषित कर दिए गए लेकिन, न तो उनकी कमेटी घोषित हुई और न ही प्रकोष्ठ, प्रकल्प व विभाग समेत इन संगठनों का विस्तार हो सका। कई चुनावों में कार्यकर्ताओं ने संगठन में महत्व की आकांक्षा में खूब मेहनत की किंतु अभी तक काफी उपेक्षित रह जाने से उनमें असंतोष बढ़ रहा है।
भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश में युवा, महिला, किसान, अनुसूचित जाति, पिछड़ा, अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष घोषित किये गए हैं लेकिन अभी कार्यकारिणी घोषित नहीं हो सकी है। विधानसभा चुनाव के एक वर्ष पहले से ही भाजपा ने संगठनात्मक स्तर पर खूब सक्रियता दिखाई। उत्साहित कार्यकर्ताओं ने बूथ स्तर तक कार्यक्रम किये और उप्र में प्रचंड बहुमत की सरकार बनी। कार्यकर्ताओं को इस एवज में पुरस्कार मिलने की उम्मीद थी। संगठन से लेकर विभिन्न पदों पर समायोजन किये जाने के आश्वासन भी मिले लेकिन, यह उनका यह ख्वाब पूरा नहीं हो सका। 
प्रदेश में सरकार बनने के बाद पंडित दीनदयाल उपाध्याय जन्म शताब्दी वर्ष में जन संपर्क अभियान, पौधरोपण, मेरा घर-भाजपा का घर, रक्त परीक्षण, जन कल्याण सम्मेलन, संगोष्ठी, सेवा सहयोगी संगम, रक्तदान, क्षेत्रीय संगोष्ठी, सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता, मंडल अध्यक्ष अधिवेशन, किसान कल्याण पंचायत, दीनदयाल खेल उत्सव जैसे कार्यक्रम आयोजित होने लगे। कार्यकर्ताओं ने इसे कामयाब बनाने के लिए बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। अब उनमें नाराजगी बढ़ रही है और कार्यक्रमों के लगातार फरमान से उनके बीच से तीखी प्रतिक्रिया निकल रही है। 
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है हमारी अनुशासित पार्टी है लेकिन, जो कार्य आसानी से संपन्न हो सकते हैं, अगर उसे लंबित रखा जाएगा तो स्थिति ठीक नहीं रहेगी। हालांकि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने संकेत दिया है कि मकर संक्रांति के बाद भाजपा और फ्रंटल संगठनों का पुनर्गठन होगा। 
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह जुलाई में तीन दिवसीय दौरे पर आए थे। तब उन्होंने 19 विभाग, नौ प्रकल्प और 17 प्रकोष्ठ के गठन के लिए खास बैठक की थी। शाह ने इन संगठनों को प्राथमिकता पर नए सिरे से गठित करने को कहा लेकिन, इसे पूरा नहीं किया जा सका। तब यह बात कही गई कि पितृपक्ष के बाद घोषित किया जाएगा लेकिन कार्यकर्ता अभी तक इंतजार कर रहे हैं।
प्रकोष्ठ में विधि, बुद्धिजीवी, व्यवसायिक, चिकित्सा, आर्थिक, व्यापार, सहकारिता, पूर्व सैनिक, सांस्कृतिक, बुनकर, शिक्षक, मछुआरा, स्थानीय निकाय, पंचायत प्रकोष्ठ, एनजीओ, वरिष्ठ नागरिक और लघु उद्योग प्रकोष्ठ का गठन होगा। 
 सुशासन तथा केंद्र-राज्य शासकीय कार्यक्रम समन्वय, नीति विषयक शोध, मीडिया, मीडिया संपर्क, प्रशिक्षण, राजनीतिक प्रतिपुष्टि और प्रतिक्रिया, राष्ट्रीय कार्यक्रम एवं बैठक, डाक्यूमेंटेशन एवं ग्रंथालय, सहयोग, आपदीय राहत एवं सेवाएं, अध्यक्षीय कार्यालय प्रवास एवं कार्यक्रम, प्रचार-प्रसार निर्माण विभाग, ट्रस्ट समन्वय, चुनाव प्रबंधन, चुनाव आयोग संपर्क, कानूनी और विधिक विषय, पार्टी पत्रिकाएं तथा प्रकाशन, आइटी वेबसाइट और सोशल मीडिया प्रबंधन, विदेश संपर्क और आजीवन सहयोग निधि विभाग के प्रमुख और उनकी टीम बनाई जानी है।
जिला कार्यालय निर्माण, कार्यालय आधुनिकीकरण, ग्रंथालय निर्माण, स्वच्छता अभियान, बेटी बचाओ-बेटी बढ़ाओ, नमामि गंगे, राष्ट्रीय सदस्यता अभियान, राष्ट्रीय महासंपर्क अभियान और राष्ट्रीय प्रशिक्षण अभियान प्रकल्प बनेंगे।
मोर्चा व प्रकोष्ठ का गठन न होने से यूपी भाजपा में असंतोष | Reviewed by Ravindra Nagar on January 06, 2018 Rating: 5

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