अब यूपी व उत्तराखंड के करोड़पति विधायक भी आयकर के रडार पर
Dhanaoura times news lucknow
जनसेवा का संकल्प लेकर राजनीति में आए विधायक जी ने अगर क्षेत्र की बजाय खुद का विकास कर बेतहाशा संपत्ति अर्जित कर ली है तो मतदाता भले ही उनसे हिसाब न ले पाएं लेकिन, आयकर विभाग की चिट्ठी उनके पास पहुंचना तय है। खास तौर पर वे विधायक जिन्होंने पिछले हलफनामे या आयकर रिटर्न के मुकाबले अपनी संपत्ति को दो करोड़ रुपये से अधिक बढ़ा लिया है, उन्हें बताना होगा कि यह रकम या संपत्ति उनके पास कहां से आई। इस कवायद में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कुल 473 विधायक आयकर के रडार पर आ गए हैं।
विधानसभा चुनाव हारने वाले प्रत्याशियों के लिए राहत की बात है कि शपथ पत्र में उन्होंने संपत्ति में चाहे जितनी वृद्धि दिखाई हो लेकिन आयकर विभाग फिलहाल उनके पन्ने नहीं पलटने जा रहा है। दूसरी तरफ जीते विधायकों के लिए स्थिति इससे उलट है। आयकर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चुनाव आयोग ने जीत कर विधायक बने लोगों की आर्थिक पड़ताल के मानक तय कर दिए हैैं। इन कसौटियों पर उप्र के 403 और उत्तराखंड के 70 विधायकों का आर्थिक चिट्ठा कसने के निर्देश भी दोनों प्रदेशों के आयकर अधिकारियों को दे दिए गए हैं। आयकर अधिकारी ने बताया कि इन मानकों के आधार पर पड़ताल के लिए विधायकों को चिह्नित करने का काम अगले कुछ दिनों में शुरू हो जाएगा।
आयकर अधिकारी ने बताया कि जिन विधायकों का पिछले राज्यसभा, लोकसभा, विधानसभा या विधान परिषद चुनाव का शपथ पत्र उपलब्ध नहीं होगा या पहली बार चुनाव लडऩे की वजह से किसी विधायक का पिछला कोई शपथ पत्र नहीं होगा, उनकी संपत्ति का मिलान उनके हालिया आयकर रिटर्न से किया जाएगा। इसमें भी यदि रिटर्न और हलफनामे में समानता न मिली तो उनकी रिपोर्ट आयकर विभाग से चुनाव आयोग को भेज दी जाएगी। हालांकि चुनाव आयोग को रिपोर्ट भेजने से पहले संबंधित विधायकों को पत्र भेजकर उनसे भी संपत्ति बढऩे के कारण जानने का प्रयास किया जाएगा।
उप्र व उत्तराखंड, दोनों राज्यों में पांच साल के दौरान बड़ी संख्या में विधायकों की संपत्ति लगभग दोगुनी हो गई है। एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉम्र्स (एडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2012 का विधानसभा चुनाव जीते 311 विधायकों की औसत संपत्ति 2017 तक 3.49 करोड़ रुपये से बढ़कर 6.33 करोड़ रुपये हो गई। पांच साल में इन विधायकों की संपत्ति में औसतन 2.84 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई।
विधानसभा चुनाव हारने वाले प्रत्याशियों के लिए राहत की बात है कि शपथ पत्र में उन्होंने संपत्ति में चाहे जितनी वृद्धि दिखाई हो लेकिन आयकर विभाग फिलहाल उनके पन्ने नहीं पलटने जा रहा है। दूसरी तरफ जीते विधायकों के लिए स्थिति इससे उलट है। आयकर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चुनाव आयोग ने जीत कर विधायक बने लोगों की आर्थिक पड़ताल के मानक तय कर दिए हैैं। इन कसौटियों पर उप्र के 403 और उत्तराखंड के 70 विधायकों का आर्थिक चिट्ठा कसने के निर्देश भी दोनों प्रदेशों के आयकर अधिकारियों को दे दिए गए हैं। आयकर अधिकारी ने बताया कि इन मानकों के आधार पर पड़ताल के लिए विधायकों को चिह्नित करने का काम अगले कुछ दिनों में शुरू हो जाएगा।
आयकर अधिकारी ने बताया कि जिन विधायकों का पिछले राज्यसभा, लोकसभा, विधानसभा या विधान परिषद चुनाव का शपथ पत्र उपलब्ध नहीं होगा या पहली बार चुनाव लडऩे की वजह से किसी विधायक का पिछला कोई शपथ पत्र नहीं होगा, उनकी संपत्ति का मिलान उनके हालिया आयकर रिटर्न से किया जाएगा। इसमें भी यदि रिटर्न और हलफनामे में समानता न मिली तो उनकी रिपोर्ट आयकर विभाग से चुनाव आयोग को भेज दी जाएगी। हालांकि चुनाव आयोग को रिपोर्ट भेजने से पहले संबंधित विधायकों को पत्र भेजकर उनसे भी संपत्ति बढऩे के कारण जानने का प्रयास किया जाएगा।
उप्र व उत्तराखंड, दोनों राज्यों में पांच साल के दौरान बड़ी संख्या में विधायकों की संपत्ति लगभग दोगुनी हो गई है। एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉम्र्स (एडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2012 का विधानसभा चुनाव जीते 311 विधायकों की औसत संपत्ति 2017 तक 3.49 करोड़ रुपये से बढ़कर 6.33 करोड़ रुपये हो गई। पांच साल में इन विधायकों की संपत्ति में औसतन 2.84 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई।
रिपोर्ट बताती है कि 2017 में फिर विधायक बने बसपा के शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली की संपत्ति में पांच साल के दौरान 64 करोड़ रुपये बढ़ गई। रिपोर्ट के मुताबिक पांच साल में सपा, कांग्रेस व भाजपा विधायकों की संपत्ति औसतन दो-दो करोड़ रुपये, जबकि बसपा विधायकों की संपत्ति औसतन चार करोड़ रुपये बढ़ गई। उधर उत्तराखंड के 70 में से 55 विधायकों की संपत्ति भी पांच साल में करीब 96 फीसद यानी लगभग दोगुनी हो गई है।
अब यूपी व उत्तराखंड के करोड़पति विधायक भी आयकर के रडार पर
Reviewed by Ravindra Nagar
on
January 10, 2018
Rating:

No comments: