इलाहाबाद में पौष पूर्णिमा पर नदियों के घाट पर उमड़े श्रद्धालु, आज से जुटे कल्पवासी
Dhanaoura times news
पौष पूर्णिया के पर्व पर आज तड़के से ही प्रदेश में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा है। संगमनगरी इलाहाबाद के साथ ही अन्य शहरों में नदियों के तट पर लोगों का हुजूम स्नान के साथ ही पूजा-पाठ में लगा है। इलाहाबाद में संगम पर आज से पौष पूर्णिमा पर स्नान के साथ माघ मेला शुरू हो गया।
इलाहाबाद में माघ मेला के प्रथम स्नान पर्व पौष पूर्णिमा पर संगम और गंगा में डुबकी लगाने का सिलसिला भोर से शुरू हो गया। आज यहां पर संगम के अलावा रामघाट, गंगोली शिवालय, कालीघाट तथा अक्षयवट घाट पर भी स्नान चल रहा है।
आज पौष पूर्णिमा पर स्नान के साथ माघ मेला शुरू हो गया। माघ मेला के पहले ही दिन संगम पर कल्पवासी व श्रद्धालु स्नान के साथ आरती कर दीपदान भी कर रहे हैं। माघमेला के प्रथम स्नान पर्व पौष पूर्णिमा की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई थीं।
डीएम सुहास एलवाई और एसएसपी आकाश कुलहरि ने अफसरों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए थे। करीब लगभग तीस लाख श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। इसको लेकर व्यवस्थाएं पुख्ता हैं। इसके साथ सुरक्षा के भी तगड़े इंतजाम किए गए हैं।
अमरोहा में गंगा नदी के बृजघाट व तिगरी घाट पर पौष पूर्णिमा के स्नान पर श्रद्धालु उमड़े। आस्था यहां पर घने कोहरे और कड़ाके की ठंड के बीच हावी हो गई है।
लोगों ने हर-हर गंगे के उद्घोष के साथ आस्था की डुबकी लगाई। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के कारण नेशनल हाइवे के गंगा पुल पर जाम भी लग गया है। इस जाम के कारण ट्रैफिक रेंग रेंग कर किया जा रहा है।
पौष माह की पूर्णिमा को मोक्ष की कामना करने वाले इच्छुकों के लिए शुभ माना जाता है। पौष माह के बाद माघ महीने की शुरुआत होती है। माघ माह में किए जाने वाले स्नान की शुरुआत भी पौष माह पूर्णिमा से शुरु होती है। माना जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन विधि के साथ पूजन और स्नान करता है वो मोक्ष को पाता है। उसे जन्म-मृत्यु के चक्र से छुटकारा मिल जाता है। माघ माह में ही सभी मंगल कार्यों की शुरुआत होती है, माना जाता है कि इस माह में शुरु किए गए कार्यों में सफलता मिलती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह आने वाली पूर्णिमा और अमावस्या का महत्व होता है। अमावस्या को कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष का अंतिम दिन पूर्णिमा होता है। पूर्णिमा यानि पूर्णो माः। मास का अर्थ होता है चांद। अर्थात जिस दिन चंद्रमा का आकार पूर्ण होता है उस दिन को पूर्णिमा कहा जाता है। इसी के साथ जिस दिन चांद आसमान में बिल्कुल दिखाई नहीं देता है वो रात अमावस्या की होती है। हर पूर्णिमा का अपना महत्व माना जाता है, लेकिन पौष और माघ माह की पूर्णिमा का अत्याधिक महत्व माना जाता है।
पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा अपने पूर्ण आकार में होता है। यह दिन माँ लक्ष्मी को भी अत्यंत प्रिय है। पूर्णिमा के दिन ये खास उपाय करने से आपका भाग्य सुंदर बनेगा। शास्त्रों में कहा गया है कि हर पूर्णिमा के दिन पीपल के वृक्ष पर मां लक्ष्मी का आगमन होता है। आप सुबह उठकर पीपल के पेड़ के सामने कुछ मीठा चढ़ाकर जल अर्पित करें। सफल दाम्पत्य जीवन के लिए प्रत्येक पूर्णिमा को पति-पत्नी में कोई भी चन्द्रमा को दूध का अर्ध्य अवश्य ही दें। ( दोनों एक साथ भी दे सकते है) , इससे दाम्पत्य जीवन में मधुरता बनी रहती है।
जिस भी व्यक्ति को जीवन में धन सम्बन्धी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उन्हें पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय के समय चन्द्रमा को कच्चे दूध में चीनी और चावल मिलाकर "ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: चन्द्रमासे नम:" अथवा " ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:. " मन्त्र का जप करते हुए अर्ध्य देना चाहिए। इससे धीरे धीरे उसकी आर्थिक समस्या खत्म होती है।
पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी के चित्र पर 11 कौड़ियां चढ़ाकर उन पर हल्दी से तिलक करें। अगले दिन सुबह इन कौड़ियों को लाल कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी में रखें। इस उपाय से घर में धन की कोई भी कमी नहीं होती है। इसके बाद हर पूर्णिमा के दिन इन कौड़ियों को अपनी तिजोरी से निकाल कर लक्ष्मी जी के सामने रखकर उन पर हल्दी से तिलक करें फिर अगले दिन उन्हें लाल कपड़े में बांध कर अपनी तिजोरी में रखें। आप पर माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी। हर पूर्णिमा के दिन मंदिर में जाकर लक्ष्मी को इत्र और सुगन्धित अगरबत्ती अर्पण करनी चाहिए। धन, सुख समृद्धि और ऐश्वर्य की देवी माँ लक्ष्मी से अपने घर में स्थाई रूप से निवास करने की प्रार्थना करें। अपने घर के मंदिर में धन लाभ के लिए श्री यंत्र, व्यापार वृद्धि यंत्र, कुबेर यंत्र, एकाक्षी नारियल, दक्षिणवर्ती शंख रखें। इनको साबुत अक्षत के ऊपर स्थापित करना चाहिए।
पूर्णिमा की रात में 15 से 20 मिनट तक चन्द्रमा को लगातार देखें इससे नेत्रों की ज्योति तेज होती है। साथ में पूर्णिमा की रात में चन्द्रमा की रौशनी में सुई में धागा पिरोने का अभ्यास करने से नेत्र ज्योति बढ़ती है। पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा की चाँदनी हमारे शरीर के लिए बहुत लाभदायक है। अगर पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा का प्रकाश गर्भवती महिला की नाभि पर पड़े तो गर्भ स्वस्थ होता है गर्भवती स्त्रियों को तो जरूर कुछ देर चन्द्रमा की चाँदनी में रहना चाहिए।
चन्द्रमा मां का सूचक है और मन का कारक है। चंद्रमा कर्क राशि का स्वामी है। स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है। घर में पानी की कमी आ जाती है। मानसिक तनाव, मन में घबराहट, मन में तरह-तरह की शंका और सर्दी बनी रहती है। व्यक्ति के मन में आत्महत्या करने के विचार भी बार-बार आते रहते हैं। चन्द्रमा जैसे-जैसे कृष्ण पक्ष में छोटा व शुक्ल पक्ष में पूर्ण होता है वैसे-वैसे मनुष्य के मन पर भी चन्द्र का प्रभाव पड़ता है।
चन्द्र से अगर शुभ ग्रह छः, सात और आठ राशि में हो तो यह एक बहुत ही शुभ स्थिति है। शुभ ग्रह शुक्र, बुध और बृहस्पति माने जाते हैं। यह योग मनुष्य जीवन सुखी, ऐश्वर्या वस्तुओं से भरपूर, शत्रुओं पर विजयी , स्वास्थ्य, लम्बी आयु कई प्रकार से सुखी बनाता है। जब चन्द्र से कोई भी शुभ ग्रह जैसे शुक्र, बृहस्पति और बुध दसवें भाव में हो तो व्यक्ति दीर्घायु, धनवान और परिवार सहित हर प्रकार से सुखी होता है। चन्द्र से कोई भी ग्रह जब दूसरे या बारहवें भाव में न हो तो वह अशुभ होता है।
इलाहाबाद में पौष पूर्णिमा पर नदियों के घाट पर उमड़े श्रद्धालु, आज से जुटे कल्पवासी
Reviewed by Ravindra Nagar
on
January 02, 2018
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