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राहुल की यूथ पॉलिटिक्स के चलते बीजेपी बेचैन , इन तीन मोहरों से निपटने के लिए शुरू की मुहिम.



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*जल्द ही प्रदेश अध्यक्ष अपनी नई टीम का ऐलान कर सकते हैं...*

*कानपुर. उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में भाजपा जीत के बाद भी परेशान है और अगले लोकसभा चुनाव से पहले राहुल के नए अवतार के साथ उनके तीन मोहरों (हार्दिक, अल्पेश, जिग्नेश) से निपटने के लिए अभी से प्लॉनिंग शुरू कर दी है। इसी के तहत जल्द ही प्रदेश अध्यक्ष अपनी नई टीम का ऐलान कर सकते हैं और कानपुर के भी संगठन में बड़ा फेरबदल होने की संभावना बताई जा रही है। शहर और ग्रामीण क्षेत्रों के वोट प्रतिशत का आकलन पार्टी के पदाधिकारियों ने किया है और लोकसभा के मुकाबले मेयरपद में शहर से मतों का ग्राफ गिरा है। जबकि विधनसभा में शहर की सीसामऊ, आर्यनगर और कैंट में कमल को हार उठानी पड़ी थी। जबकि ग्रामीण इलाकों में पार्टी ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए महाराजपुर, घाटमपुर, कल्याणपुर, किदवईनगर और गोविंद नगर से जीत दर्ज की थी।*

*त्रिमूर्ति से निपटने के लिए संगठन में फेरबदल*

राहुल गांधी ने जिस तरह से गुजरात चुनाव में भाजपा को कड़ी टक्कर दी है, इसी के चलते भगवा बिग्रेड के अंदर खलबली मची हुई है। भाजपा को अंदेशा है कि लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी यूपी की चुनाव कमान हार्दिक पटेल , जिग्नेश और अल्पेश को थमा सकते हैं। खासकर कानपुर-बुंदेलखंड की 52 सीटों पर, यहां दलित, कुर्मी वोटर्स हार जीत तय कर करते हैं। भाजपा ने विधानसभा चुनाव में 47 सीटें जीती थीं। बसपा और सपा का अच्छा खासा वोट भाजपा के पक्ष में खड़ा हो गया था। कांग्रेस के नेता अंदरखाने पार्टी को नई धार देने में लगे हैं और लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयारी कर रहे हैं। राहुल गांधी के चक्रव्यूह को तोडने के लिए भाजपा ने भी कमर कस ली है और संगठन को तेज धार देने के लिए जल्द कई बदलाव करने जा रही है। मकर संक्रांति के बाद भाजपा संगठन में कई नए चेहरे दिखेंगे जो जातिगत और कांग्रेस के इन मोहरों को पटखनी देने के लिए कारगर हथियार होंगे।

*त्रिमूर्ती युवा के साथ जातिगत आंकड़ों पर फिट*

राहुल गांधी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद गुजरात और हिमाचल का चुनाव भले ही हार गए हों, लेकिन उन्होंने 2019 का शंखदान जरूर कर दिया है। राहुल गांधी अपने तीन युवा साथी हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवानी को यूपी की 80 सीटों पर लगाएंगे। तीनों युवा के साथ-साथ अपनी-अपनी जातियों में अच्छे फॉलोवर रखते हैं। जिसकी बानगी कानपुर निकाय चुनाव के दौरान दिखी। कई दलित बस्तियों में जिग्नेश की तस्वीरें लगी हुई मिलीं। साथ ही इनके सोशल मीडिया में भी अच्छे फॉलोवर हैं। भाजपा ने इसी कारण अब 2019 में होने जा रहे लोकसभा चुनाव के लिए तेजी से काम शुरू कर दिया है। कार्यकर्ताओं को मतदाता सूची संवर्धन में लगा दिया गया है। इसके साथ ही संगठन में फेरबदल की सुगबुगाहट भी तेज हो गई है। पदाधिकारी भले ही विधानसभा के बाद नगर निगम चुनाव में जीत से उत्साहित हों, लेकिन संगठन के नीति-निर्धारकों के बीच अलग खिचड़ी पक रही है।

*निकाय चुनाव में बीजेपी को कम वोट मिले*

दिमाग इस बात पर मथा जा रहा है कि पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल को बड़े अंतर से हराया था। मगर, नगर निगम चुनाव में उम्मीद के मुताबिक अंतर से जीत नहीं मिल सकी। चिंता इस पर है कि कानपुर नगर लोकसभा सीट में जो शहरी विधानसभा क्षेत्र आते हैं, वहां कांग्रेस तेजी से बढ़ी है। इन सभी विधानसभा क्षेत्रों से भाजपा प्रत्याशी प्रमिला पांडेय बहुत कम अंतर से जीत सकी हैं। लिहाजा, लोकसभा चुनाव में भाजपा ऐसा कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं है। कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्रीय कार्यालय के करीबी पदाधिकारी ने बताया कि स्थानीय संगठन में फेरबदल करने का इशारा मिल चुका है। संभवतः मकर संक्रांति के बाद नए कार्यकर्ताओं को दायित्व दिए जा सकते हैं। संगठन के नीति निर्धारकों की नजर हाल ही में बीते निकाय चुनाव के परिणामों पर भी है। संगठन के किस पदाधिकारी की क्या भूमिका और योगदान रहा।

*गिर सकती है कईयों पर गाज*

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन को हर बूथ पर सुशासन दिवस के रूप में मनाने के निर्देश थे। उसकी रिपोर्ट भी तैयार की जा रही है कि किन पदाधिकारियों ने अपने क्षेत्र में कितनी सक्रियता से कार्यक्रम कराए। जिन पदाधिकारियों ने काम नहीं किया उन पर गाज गिर सकती है। बता दें कि विधानसभा और निकाय चुनाव के वक्त कई भाजपाईयों ने भीतरघात किया। जिसके चलते भाजपा को आर्यनगर सीट हारनी पड़ी थी। उस वक्त ऐसे कार्यकर्ताओं को चिन्हित करने का आदेश पार्टी प्रदेश अध्यक्ष की तरफ से आया था, लेकिन निकाय चुनाव की आहट के चलते कार्रवाई पर रोक लग गई। भाजपा नगर अध्यक्ष सुरेंद्र मैथानी ने माना कि कई पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं का रवैया ऐसा देखने को मिला है, जो संगठन की मंशा के विपरीत है। कई युवा भाजपाई चिन्हित हो गए हैं, जिनके कारण अमूमन कार्यक्रमों में अव्यवस्था फैलती है। जिनकी सूची प्रदेश कार्यालय जल्द भेजी जाएगी।

राहुल की यूथ पॉलिटिक्स के चलते बीजेपी बेचैन , इन तीन मोहरों से निपटने के लिए शुरू की मुहिम. Reviewed by Ravindra Nagar on January 07, 2018 Rating: 5

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