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यूपी में आलू पर सियासत तेज, सरकार ने बनाई जांच कमेटी

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किसानों की आलू खरीद को लेकर राजनीतिक गलियारों में सियासत तेज हो गई है. इस बीच योगी सरकार ने आलू किसानों की समस्या के निदान खोजने के लिए डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन कर दो सप्ताह में राय मांगी है.
वहीं विपक्षी पार्टियां इसे बीजेपी की किसानों के साथ वादाखिलाफी बता रहे हैं. किसानों ने 6 जनवरी को विधान सभा, राजभवन, मुख्यमंत्री आवास की सडकों पर आलू गिरा कर विरोध दर्ज कराया था.
बीजेपी ने अपने चुनावी वादे में किसानों की आलू खरीद को मुद्दा बनाया. सरकार बनने के बाद सरकार ने आलू खरीद को रेट निर्धारित कर क्रय करने का प्रयास भी किया. लेकिन आलू की कीमतें कम होने के चलते किसानों ने आलू बेचने में रूचि नहीं दिखाई. उचित मूल्य नहीं मिलने के विरोध में किसान संगठनों ने भी आवाज उठाई लेकिन विरोधी पार्टियां बीएसपी, कांग्रेस और सपा भी चुप्पी साधे रही.
इस बीच 6 जनवरी की रात राजधानी में किसानों ने राजभवन मुख्यमंत्री आवास, विधान भवन गेट पर आलू फेंक दिया. इसके बाद से राजनीति गर्मा गयी. सपा और कांग्रेस ने इस पर सरकार को जमकर घेरने का प्रयास किया.
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता सुनील सिंह साजन कहते हैं कि बीजेपी ने चुनाव के दौरान जनता से जो वादे किए थे, उन पर कोई काम नहीं किया है. वह केवल गाय, गोबर और भगवा रंग इन्हीं सब चक्करों में फंसे हुए हैं. आलू किसान बर्बादी के कगार पर है. उसकी लागत 1000 रुपए प्रति क्विंटल आ रही थी. सरकार उसे आधे से भी कम दाम दे रही थी. इसलिए किसानों ने सरकार को जगाने के लिए अपना आलू फेंका. लेकिन सरकार बजाए समझने के कह रही है कि ये विपक्षियों की सियासत है.
वहीं कांग्रेस के प्रवक्ता द्विजेंद्र ​त्रिपाठी कहते हैं कि विधानसभा से लेकर सीएम आवास के पास आलू फेंकना ये साबित करता है कि यूपी का किसान किस हालात में है. न उन्हें उपज का सही मूल्य मिल रहा है, न ही कर्जमाफी से कोई राहत मिल रही है.
आलू किसानों की आलू नही खरीद होने के बाद विरोधी दलों को घेरने के साथ ही बीजेपी सरकार किसानों को राहत देने के आलू की खरीद फिर से शुरू कर सकती है. इसके लिए मंगलवार को यूपी सरकार ने तीन सदस्यीय कमेटी बनायी है.
जिसके अध्यक्ष डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या होगे. साथ ही कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही और वन मंत्री दारा सिंह चौहान सदस्य बनाये गये हैं. कमेटी 15 दिनों में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी. इसके बाद सरकार आलू किसानों की समस्या के लिए कोई नया कदम उठा सकती है.
मामले में बीजेपी के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी समाजवादी पार्टी को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा है कि पूर्व सपा सरकार ने पांच साल तक आलू किसानों के लिए काम नही किया. जबकि पूर्व सीएम अखिलश यादव जिस इलाके से हैं, वहा आलू की पैदावार ज्यादा होती है. बीजेपी सरकार बनने के बाद पहली बार यूपी में आलू किसानों के लिए समर्थन मूल्य घोषित किया. हमने कमेटी बनाई है, जो समस्याओं पर विचार कर रही है. यूपी का किसान हमारी प्राथमिकता में है.
यूपी में आलू पर सियासत तेज, सरकार ने बनाई जांच कमेटी Reviewed by Ravindra Nagar on January 10, 2018 Rating: 5

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