इलाहाबाद में शौंचालय निर्माण मामले में पंचायती राज के कई अधिकारियों व कर्मचारियों पर गाज गिरना तय
Dhanaoura times news
इलाहाबाद। पंचायती राज विभाग में शौंचालय निर्माण में हुई अनियमितताओं को लेकर कई प्रधानांे एवं विभाग से जुड़े कई अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर गाज गिरना तय हो चुका है।
उक्त कार्रवाई न्यायालय के निर्देश पर शुरू हुई जांच के दौरान पाई गई अनियमितताओं एवं धन के दुरूपयोग की शिकायतें के मुताबिक जनपद में वर्ष 2002-2003 से लेकर 2006 के बीच शौचालय निर्माण को लेकर वर्ष 2010 के पश्चात पंचायती राज विभाग ने कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं की जा रही थी। उक्त मामले विगत दिनों एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कार्यवाही करने के लिए निर्देश दिया। उक्त गड़बड़ियें की विस्तृत जांच की गई और तत्समय वर्ष 2010 में दो जिला पंचायत राज अधिकारियों को निलंम्बित करते हुए विभागीय कार्यवाही की गई थी। लेकिन ग्राम पंचायत स्तर पर शौचालय के निर्माण के गड़बड़ियों की कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं की जा सकी थी। 5082 शौचालयों के म्बन्ध में ग्राम पंचायत सचिवों तथा ग्राम प्रधानों से शौचालय निर्माण की सूची न मिलने की वजह से सत्यापन नहीं हो पाया। उक्त तीन वर्ष में नलकूप चालक, किसान सहायक, ग्राम विकास अधिकारी(समाज कल्याण), स्वास्थ्य कार्यकर्ता आदि ने ग्राम पंचायत सचिवों के रूप में कार्य किया था और उन्हं जांच के समय यानी 2010 तक वे अपने मूल विभागों में वापस किया गया था, जिससे सूची नहीं मिल पा रही थी और न ही सत्यापन हो पा रहा था। पंचायत राज विभाग लखनऊ उप निदेशक ने गत सप्ताह जिला पंचायत राज अधिकारी इलाहाबाद कार्यालय द्वारा 2010 के पश्चात कोई कार्यवाही न होने की जांच कई तो इस कार्यालय के दो पटल सहायक दोषी पाये गए और उन्हें 13 दिसम्बर को निलम्बित कर दिया गया और उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू कर दी गई और यहां कार्यरत लेखाकर को भी निलम्बित करने के लिए उत्तर प्रदेश आंतरिक लेखा निदेशालय केे निदेशक को संस्तुति भेज दी गई है। उक्त मामले की जांच में पाया गया कि 88 ग्राम प्रधान न तो शौचालय का निर्माण कराया और न ही उनके द्वारा उसके अभिलेख प्रस्तुत किए गए। जिसके परिणाम स्वरूप उक्त सभी प्रधानों के विरूद्ध सरकारी धन के गबन की एफ0आई0आर दर्ज कराकर आपराधिक कार्यवाही शुरू कर दी गई है। जांच के दौरान दोषी पाए गए 29 ग्राम पंचायत अधिकारियों, 10 ग्राम विकास अधिकारियों तथा 55 नलकूप चालकों के विरूद्ध शासकीय धन के गबन की एफ0आई0आर दर्ज कराई जा चुकी है। इस विधिक कार्यवाही के साथ-साथ उक्त सभी शासकीय कर्मियों के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही भी शुरू कर दी गई है। तीन ग्राम पंचायत अधिकारियों तथा तीन सहायक विकास अधिकारियों, पंचायत को निलम्बित करते हुए अनुशासनिक कार्यवाही तेज हो चुकी है। इतना ही नहीं अब सभी ग्राम प्रधानों व ग्राम सेवकों के विरूद्ध नोटिस जारी होने के बाद आर0सी0 जारी करते हुए वसूली की कार्यवाही की जायेगी। उल्लेखनीय है कि सहायक विकास अधिकारी पंचायत आनन्द प्रकाश श्रीवास्तव एवं रतन कुमार के खिलाफ विभागीय कार्यवाही पहले से ही चल रही है। उसे त्वरित गति से पूरी करने की कार्यवाही पंचायती राज विभाग निदेशक कर रहें है। पूरे प्रकरण में समय से कार्यवाही न करने के लिए वर्ष 2009 से लेकर अबतक तैनात सभी नौ जिला पंचायत राज अधिकारियों के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही किये जाने का शो-काज नोटिस उत्तर प्रदेश सरकारी सेवा आचरण नियमावली के अन्तर्गत दिया जा चुका है और तत्पश्चात इनके विरूद्ध विभागीय कार्यवाही नियमानुसार प्रारम्भ कर दी जायेगी।
इलाहाबाद। पंचायती राज विभाग में शौंचालय निर्माण में हुई अनियमितताओं को लेकर कई प्रधानांे एवं विभाग से जुड़े कई अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर गाज गिरना तय हो चुका है।
उक्त कार्रवाई न्यायालय के निर्देश पर शुरू हुई जांच के दौरान पाई गई अनियमितताओं एवं धन के दुरूपयोग की शिकायतें के मुताबिक जनपद में वर्ष 2002-2003 से लेकर 2006 के बीच शौचालय निर्माण को लेकर वर्ष 2010 के पश्चात पंचायती राज विभाग ने कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं की जा रही थी। उक्त मामले विगत दिनों एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कार्यवाही करने के लिए निर्देश दिया। उक्त गड़बड़ियें की विस्तृत जांच की गई और तत्समय वर्ष 2010 में दो जिला पंचायत राज अधिकारियों को निलंम्बित करते हुए विभागीय कार्यवाही की गई थी। लेकिन ग्राम पंचायत स्तर पर शौचालय के निर्माण के गड़बड़ियों की कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं की जा सकी थी। 5082 शौचालयों के म्बन्ध में ग्राम पंचायत सचिवों तथा ग्राम प्रधानों से शौचालय निर्माण की सूची न मिलने की वजह से सत्यापन नहीं हो पाया। उक्त तीन वर्ष में नलकूप चालक, किसान सहायक, ग्राम विकास अधिकारी(समाज कल्याण), स्वास्थ्य कार्यकर्ता आदि ने ग्राम पंचायत सचिवों के रूप में कार्य किया था और उन्हं जांच के समय यानी 2010 तक वे अपने मूल विभागों में वापस किया गया था, जिससे सूची नहीं मिल पा रही थी और न ही सत्यापन हो पा रहा था। पंचायत राज विभाग लखनऊ उप निदेशक ने गत सप्ताह जिला पंचायत राज अधिकारी इलाहाबाद कार्यालय द्वारा 2010 के पश्चात कोई कार्यवाही न होने की जांच कई तो इस कार्यालय के दो पटल सहायक दोषी पाये गए और उन्हें 13 दिसम्बर को निलम्बित कर दिया गया और उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू कर दी गई और यहां कार्यरत लेखाकर को भी निलम्बित करने के लिए उत्तर प्रदेश आंतरिक लेखा निदेशालय केे निदेशक को संस्तुति भेज दी गई है। उक्त मामले की जांच में पाया गया कि 88 ग्राम प्रधान न तो शौचालय का निर्माण कराया और न ही उनके द्वारा उसके अभिलेख प्रस्तुत किए गए। जिसके परिणाम स्वरूप उक्त सभी प्रधानों के विरूद्ध सरकारी धन के गबन की एफ0आई0आर दर्ज कराकर आपराधिक कार्यवाही शुरू कर दी गई है। जांच के दौरान दोषी पाए गए 29 ग्राम पंचायत अधिकारियों, 10 ग्राम विकास अधिकारियों तथा 55 नलकूप चालकों के विरूद्ध शासकीय धन के गबन की एफ0आई0आर दर्ज कराई जा चुकी है। इस विधिक कार्यवाही के साथ-साथ उक्त सभी शासकीय कर्मियों के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही भी शुरू कर दी गई है। तीन ग्राम पंचायत अधिकारियों तथा तीन सहायक विकास अधिकारियों, पंचायत को निलम्बित करते हुए अनुशासनिक कार्यवाही तेज हो चुकी है। इतना ही नहीं अब सभी ग्राम प्रधानों व ग्राम सेवकों के विरूद्ध नोटिस जारी होने के बाद आर0सी0 जारी करते हुए वसूली की कार्यवाही की जायेगी। उल्लेखनीय है कि सहायक विकास अधिकारी पंचायत आनन्द प्रकाश श्रीवास्तव एवं रतन कुमार के खिलाफ विभागीय कार्यवाही पहले से ही चल रही है। उसे त्वरित गति से पूरी करने की कार्यवाही पंचायती राज विभाग निदेशक कर रहें है। पूरे प्रकरण में समय से कार्यवाही न करने के लिए वर्ष 2009 से लेकर अबतक तैनात सभी नौ जिला पंचायत राज अधिकारियों के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही किये जाने का शो-काज नोटिस उत्तर प्रदेश सरकारी सेवा आचरण नियमावली के अन्तर्गत दिया जा चुका है और तत्पश्चात इनके विरूद्ध विभागीय कार्यवाही नियमानुसार प्रारम्भ कर दी जायेगी।
इलाहाबाद में शौंचालय निर्माण मामले में पंचायती राज के कई अधिकारियों व कर्मचारियों पर गाज गिरना तय
Reviewed by Ravindra Nagar
on
December 16, 2017
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