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इस्लामी शरीयत में तीन तलाक को लेकर दखल अंदाजी बर्दाश्त नहीं

Dhanaoura times news
मुरादाबाद बिलारी। तहसील क्षेत्र मुसलमानों में रोष व्याप्त है। संसद में मुस्लिम महिला संरक्षण विधेयक पास होने को लेकर तीन तलाक का मुद्दा गरमाया है कानूने शरीयत के विशेषज्ञों का कहना है कि यह कानून इस्लामी शरीयत में दखल का एक बहाना है यह कानून सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करता है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने जब तीन तलाक को पहले ही अवैध घोषित कर दिया ऐसे में जब तलाक नहीं हुई तो सजा किस बात की इस कानून के बनाने से पहले सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद इस्लामी विद्वानों से इस मामले में सलाह ना लेना भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना है आज देश में गरीबी बेरोजगारी भ्रष्टाचार आदि बड़ी समस्या है उनकी उपेक्षा करके तीन तलाक कैसे कम महत्व के मुद्दे पर कानून बनाना केवल राजनीतिक हितों के लिए है यदि महिलाओं के हित की बात की जाए तो केवल मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक एक साथ देने के मामले में 3 साल सजा का प्रावधान करना उनके हितों की रक्षा करने के बजाए अहितकर साबित होगा किसी भी अपराध को रोकने से केवल कानून बनाने से कुछ नहीं होता उस अपराध के खिलाफ समाज में सुधारात्मक सोच और अपराध होने के कारण मिटाने पर और किया जाना जरूरी है क्योंकि निर्भया हत्याकांड के बाद दिल्ली में बलात्कार के खिलाफ कड़े कानून बनने के बाद भी ऐसे अपराधों में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की गई है सरकार यदि मुस्लिम महिलाओं की हितेषी है तो वह उनके लिए रोजगार शिक्षा पुनर्वास आदि मामलों में आरक्षण जैसे प्रावधान करे। वैसे भी भारतीय समाज के बहुसंख्यक वर्ग की महिलाओं को ऐसी स्थिति से बचाने के लिए या इस परिस्थिति से मुक्त करने के लिए कोई कानून नहीं बनाए जाना धार्मिक आधार पर इस कानून को विभेदकारी बनाता है।
इस्लामी शरीयत में तीन तलाक को लेकर दखल अंदाजी बर्दाश्त नहीं Reviewed by Ravindra Nagar on December 29, 2017 Rating: 5

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